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SEO kya hota hai What is SEO in hindi SEO kaise kam karta hai

SEO kya hota hai What is SEO in hindi SEO kaise kam karta hai
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बुधवार, 27 जुलाई 2022

SEO kya hota hai What is SEO in hindi SEO kaise kam karta hai

SEO kya hota hai? इस प्रश्न का उत्तर आज आपको बहुत ही आम आदमी वाली साधारण भाषा में मिलने वाला है। SEO kaise karte hain? SEO kam kaise karta hai यह भी समझने में भविष्य में आपको आसानी होगी। और आप बहुत ही आसानी से अपनी वेबसाइट अथवा ब्लॉग का SEO कर पाएंगे। वैसे आपको ब्लॉगिंग क्यों करनी चाहिए? इसका उत्तर पाइए। 

SEO kya hai और SEO karte kaise hain यह समझने से पहले आपको बता दें कि हम आपको ऑनपेज Seo की विश्लेषित व्याख्या देने वाले हैं ना कि ऑफ पेज की, जो कि टेक्निकल टर्म से जुड़ा है। 

और हमे उम्मीद है कि Off Page SEO की जानकारी तो आपको अवश्य होगी क्योंकि आप एक ब्लॉग या वेबसाइट के मालिक जो हैं। और क्योंकि ब्लॉग, वेबसाइट का मालिक होने के लिए आपको प्रथम काम Tecnical SEO से ही आरंभ करना होता है, और शुरुआत के साथ साथ सदैव ही करते ही रहना होता है। मुझे नही लगता की इसके बगैर प्रोफेशनल ब्लॉगिंग संभव है। अपने Niche को डिसाइड करने में दिक्कत है तो आप यह पोस्ट पढ़ सकते हैं।

SEO kya hai hindi SEO kaise kam karta hai in Blogging|SEO kaam kaise karta hai

SEO kya hai इस प्रश्न को समझते हैं, Search Engine Optimization को खुलकर समझकर। जिसके लिए पहले हमे इन तीन अक्षरों को खोलकर देखना होगा अर्थात SEO ki Full Form kya hoti hai यह जानना होगा। बोर मत होइए, यह सब बताने के पीछे क्या मतलब है आपको आगे समझ आ जायेगा।

SEO meaning in hindi|SEO full form in Hindi 

  • S - Search 
  • E - Engine
  • O - Optimization 

Search समझ में आता है Engine समझ में आता है परंतु ससुरा ये Optimization नही घुस रहा दिमाग में। इसका क्या मतलब हुआ? हिंदी में रूपांतरित किया तो अनुकूलन, और बड़ी समस्या Optimization थोड़ा बहुत पल्ले पड़ता भी है परंतु ये अनुकूलन इसका तो भेद ही नही पता चलता कि आखिर बला क्या है? हालांकि हिंदी भाषा के अच्छे जानकार इसका मतलब भली प्रकार जानते हैं कि इसका अभिप्राय किसी भी चीज को अनुकूल बनाना। यानी जो जिसे चाहिए वो ही अथवा वैसा ही प्रस्तुत करना। चलिए SEO को समझाने के लिए आपको एक छोटी सी कहानी सुनाते हैं। 

SEO Kaise kam karta hai|A short story to understand How to SEO work in Blogging 

एक राज्य में एक राजा राज का करता था। राजा को संतान के रूप में एक लड़की थी। राजा ने अपनी बिटिया को बड़े ही प्यार से पाला था। राजकुमारी युवा हुई राजा को उसकी शादी की फिकर होने लगी। 

राजकुमारी सुंदर और सुशीलता लिए सर्वगुण संपन्न थी। राजा ने अपने उच्च अधिकारियों से राजकुमारी के विवाह के बारे में बात की। किसी अधिकारी ने किसी राज्य के राजकुमार का नाम सुझाया तो किसी दूसरे ने किसी दूसरे तीसरे आदि राज्यों के राजकुमारों के नाम सुझाए।

अंत में निर्णय लिया गया कि क्यों न राजकुमारी के स्वयंवर की घोषणा करके सभी राज्यों के पास निमंत्रण भेजा जाए। किसी राज्य की नाराजगी भी नही होगी और राजकुमारी भी अपना मनचाहा वर चुन लेंगी। इस निर्णय को सभी ने सराहा और अंतिम निर्णय मान कर स्वयंवर की तारीख निर्धारित कर दी गई। 

What is on-page SEO with example?|ऑन पेज SEO का उदाहरण कहानी द्वारा

राजकुमारी के स्वयंवर की तारीख के नजदीक आने पर समारोह की तैयारियां शुरू होने लगी। एक शाम राजा अपनी पुत्री राजकुमारी से मिलने गए और उसे बताया कि फलां दिन तुम्हारा स्वयंवर है। और दुनिया भर से राजा एवं राजकुमार तुम्हारे स्वयंवर में आमंत्रित किए गए हैं ताकि तुम अपना मनपसंद वर चुन सको। 

राजकुमारी ने कहा, "ठीक है पिताजी! आप मेरे लिए जो करेंगे अच्छा ही करेंगे। लेकिन यदि आपको बुरा न लगे; तो क्या आप मेरी एक बात का समर्थन कर सकते हैं?" राजा ने कहा, "क्यों नही! अपनी पुत्री के लिए कुछ भी! बोलो क्या इच्छा है तुम्हारी?" राजा ने आश्वासन दिया। 

राजकुमारी बोली, "पिताजी क्या स्वयंवर में वर चुनने के लिए मैं अपने प्यारे तोते की मदद ले सकती हूं?" आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राजकुमारी के पास कई वर्षों से एक पालतू तोता था।

राजा ने असंजस में कहा, "क्या? मैं कुछ समझा नहीं बेटी!"

राजकुमारी ने कहा, "पिताजी यह तोता वर्षों से मेरे साथ है मेरी सारी इच्छाएं जानता है। मुझे क्या चाहिए क्या नही? इसे सब पता है। क्यों न यह तोता ही मेरे लिए वर चुनने का निर्णय ले।"

राजा बोले, "लेकिन कैसे? यह तोता कैसे...?" 

राजकुमारी बीच में ही बोल पड़ी, "वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए। आप बस हामी भर लीजिए कि मैं ऐसा कर लूं।"

बेटी की मासूमियत और पुत्री प्रेम के आगे राजा को हां करनी पड़ी।

खैर! वह दिन आ गया। मतलब स्वयंवर का दिन आ गया। राजदरबार को खूब सजाया गया है। देश विदेश के राजा एवं राजकुमार सज धज कर दरबार में उपस्थित हैं। नगर की जनता भी स्वयंवर देखने उमड़ पड़ी है। आम जन कुछ बाहर तो कुछ अंदर अहाते में खड़े हैं। तभी राजकुमारी के आने की घोषणा होती है। राजकुमारी अपनी दासियों एवं सहेलियों के साथ दरबार में उपस्थित होती है। सभी राजकुमार उम्मीदी आह भरते हुए प्यार से राजकुमारी को निहारते हैं। राजकुमारी अपने पिता राजा के थोड़ा पास ही बने सिंहासन नुमा आसन पर अपनी सहेलियों के साथ विराजमान होती है। 

राजा अपनी पुत्री को देख गर्वित हुए जा रहे हैं। घोषणाकर्ता राजकुमारी के पास जाता है। राजकुमारी उसे कुछ समझाती है। वह फिर राजा के पास जाकर कुछ विमर्श करता है। अब वह घोषणाकर्ता कहना शुरू करता है, "देश विदेश से आए सभी अतिथिगण का हमारे महाराज एवं राजकुमारी सहित सम्पूर्ण राज्य के प्रजा जन राजकुमारी के स्वयंवर में आने के लिए अभिनंदन करते हैं।"

सभी ताली बजाते हैं। घोषणाकर्ता एक बार फिर कहता है, "हम सब जानते हैं हमारी राजकुमारी से विवाह के लिए आप सब इच्छा रखते हैं। राजकुमारी भी आप में से किसी एक को अपना वर चुनना चाहती हैं। परंतु वे आप सबको देखकर थोड़ा उलझन में हैं। इसलिए उनकी उलझन को दूर करने एवं वर चुनने में राजकुमारी अपने पालतू तोते की मदद लेना चाहती हैं।" 

तभी आवाज आती है, "महोदय हम कुछ समझे नही कृपया थोड़ा स्पष्ट करेंगे।"

घोषणाकर्ता कहता है, "राजकुमारी चाहती हैं कि वे अपने तोते को आप सबकी ओर भेजें और तोता देखभाल कर जिस किसी के भी सिर पर बैठेगा राजकुमारी उन्हें ही अपना वर मान लेंगी। मुझे उम्मीद है आप सब को यह मंजूर होगा।" 

दरबार में खुसर फुसर तो हुई परंतु बिल्ली के गले घंटी बांधे कौन? सभी चुप रहे। दरबार के सन्नाटे को देखते हुए आगे की कार्रवाई शुरू हुई।

राजकुमारी ने अपने तोते को अच्छी तरह से समझा कर दरबार में सभासदों एवं राजकुमारों की तरफ छोड़ दिया। सभी की दिल की धड़कन बढ़ती हुई प्रतीत हो रही थी। तोता इधर उधर देखते हुए सभी के सरों पर उड़ रहा था। सभी भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि तोता मेरे सिर पे आके बैठे मेरे सिर पर बैठे! तोता किसी विशेषज्ञ जासूस की भांति सभी की ओर निहारते हुए इधर से उधर उड़ता रहा।

तभी, अरे! ये क्या? क्या तोता वाकई पढ़ाया हुआ है? क्योंकि तोता सभी सजे धजे राजकुमारों को छोड़कर आमजन की भीड़ में एक आदमी के सिर पर बैठ गया। 

सभी राजकुमार उस व्यक्ति को घूरने लगे। दरबारी खुसर फुसर करने लगे। तोता जिसके सिर पर बैठा उसकी हालत वैसे ही पसीने पसीने हो रही थी। तभी घोषणा कर्ता ने राजकुमारी की ओर देखा, राजकुमारी ने तोते को उसके नाम से पुकारा तोता उड़कर राजकुमारी के पास पहुंच गया। राजकुमारी तोते को समझा रही है। घोषणाकर्ता कहता है, "माफ कीजिए तोते से भूल हुई है, इसे एक मौका और दिया जायेगा।" यह सुनकर राजाओं एवं राजकुमारों की जान में जान आई।

तोता एक बार फिर राजकुमारी के कहने पर उड़ता है, फिर वैसे ही छानबीन करता है। अरे फिर से! जी हां! तोता फिर उसी व्यक्ति के सिर पर जाके बैठ जाता है। सभी भौंचक्के रह जाते हैं। सोचते हैं, पहली बार तो चलो तोते से भूल हुई परंतु दूसरी बार भी, फिर उसी व्यक्ति के सिर पर? आखिर क्यों और कैसे? 

राजकुमारी इस बार उठ खड़ी होती है और गुस्से में तोते को पुकारती है। तोता राजकुमारी का आह्वान सुनकर फिर उसके पास पहुंच जाता है। राजकुमारी समेत सभी दरबारी विचारते हैं कि आखिर तोता उसी व्यक्ति के सिर पर क्यों जा के बैठ रहा है? क्या राजकुमारी उस व्यक्ति को पहले से जानती है? नही यदि जानती तो चुपचाप मान लेती। आखिर क्यों? राजा अपने सभी अधिकारियों की ओर देखता है। सभी चुप्पी साधे हैं। तभी राजगुरु खड़े होते है और राजा के करीब जाकर धीरे से कहते हैं, "महाराज आपको बता दूं कि यदि तोते को एक बार और मौका दिया गया तो वह फिर से उसी व्यक्ति के सिर पर जाके बैठेगा। विश्वास नही है तो राजकुमारी जी एक बार फिर से उसे भेजिए।" राजकुमारी फिर से तोते को समझाबुझा कर भेजती है। 

और यह क्या? राजगुरु की बात सच निकली तोता फिर उसी व्यक्ति के सिर पर जाके बैठ गया। सभी का मुंह खुला का खुला रह गया।

राजा कहता है, "राजगुरु! आपको कैसे पता चला? कुछ विस्तार से बताइए।"

राजगुरु समझते हैं, "मुझे पता है राजकुमारी ने तोते को बेहतर तरीके से प्रशिक्षित किया है और यह भी यकीन है कि राजकुमारी तोते को भली प्रकार समझती है और यह राजकुमारी को। और राजकुमारी ने इसे समझा भी दिया है कि उसे उसके लिए सबसे अच्छा दूल्हा चुनना है। और  महाराज यह भी यकीन जानिए कि तोते को भी पता है कि उसे राजकुमारी के लिए बढ़िया से बढ़िया का चुनाव करना है।"

राजा प्रश्न करता है, "तो फिर समस्या क्या है? यह गलती क्यों कर रहा है?"

राजगुरु कहते हैं, "नही महाराज तोता गलती नही कर रहा! इसे जितना ज्ञान है उसका बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।"

राजा, "वो कैसे?"

राजगुरु, "आप सब जानते हैं, तोते या दूसरे पक्षी कहां रहना पसंद करते हैं?" 

राजा कहता है, "हूं! हरे भरे पेड़ों पर।" राजगुरु कहते हैं, "जी हां! पेड़ों पर, और वह भी हरे भरे पेड़ों पर। क्योंकि हरियाली ही इन्हे लुभाती है, इनके लिए हरियाली के सामने सब बेकार है। वैसे ही तोते को भी लगता है कि संसार में हरा रंग ही सर्वश्रेष्ठ है और राजकुमारी के लिए यही सबसे बेहतर होगा। गौर कीजिए उस व्यक्ति के सिर पर हरे रंग की पगड़ी है और उस व्यक्ति से तोते को कोई लेना देना नही है, क्योंकि वह हरी वस्तु(पगड़ी) पर बैठा है न कि व्यक्ति पर। क्योंकि शादी ब्याह के रीति रिवाजों से वह अनभिज्ञ है। उसे लगा हरा रंग ही सबकुछ होता है और राजकुमारी के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता है? यकीन न हो तो उस व्यक्ति को पगड़ी छुपाने के लिए कहिए और फिर देखिए। वह किसी दूसरी हरियाली की तलाश करेगा। यदि किसी व्यक्ति के पास हरी वस्तु है तो ठीक वरना वह किसी दूसरी जो थोड़ा बहुत हरियाली लिए हुए है उस वस्तु पर भी बैठ सकता है।"

ऐसा ही किया गया और तोता उस व्यक्ति की ओर नही गया। वह हरियाली की तलाश में बारीकी से छानबीन करता रहा और जहां भी छोटी मोटी हरियाली दिखती वहीं जाता रहा। वह अच्छी से अच्छी हरियाली की तलाश करता रहा। खैर! यह तो हुई कहानी। अब कहानी को SEO से जोड़ने का क्या तुक है?

SEO in digital marketing|SEO क्या है और कैसे काम करता है?

अब आप कहेंगे कि यहां SEO कहां था? SEO का नाम लेकर बेवजह की बकवास की गई। एक मिनट रुकिए! 

Google Search Engine को आप राजदरबार कह सकते हैं। गूगल बोट्स को यहां तोता कहिए। राजदरबार में बैठे लोग बड़ी वेबसाइट्स हैं और आमजन में खड़े लोग मध्यम वेबसाइट्स और बाहरी वातावरण में खड़े लोग छोटी अथवा नई नई वेबसाइट्स। यह बड़ी छोटी वेबसाइट का सारा झंझट बैकलिंक्स से होता है। सीधी सी बात है, मनुष्यों में भी जिस किसी की जितनी अधिक जानकारी या कितने लोग उसे जानते हैं वह उतना ही लोकप्रिय होगा। वैसे ही वेबसाइट के बैकलिंक उसकी वारीयता, श्रेष्ठता और विश्वसनीयता निर्धारित करने में सहायक होते हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि उपलब्ध Content (सामग्री) की विश्वसनीयता इनसे भी ऊपर हो सकती है, यदि Google का विश्वास किसी साइट ने जीत लिया।

SEO क्या है और यह कैसे काम करता है?

राजकुमारी को ग्राहक या जो सर्च करेगा वो। जब भी कोई अपने ब्राउज़र में किसी कीवर्ड को टाइप करता है तो साथ में गूगल हमे खुद बताता है कि कहीं आप यह तो नही  ढूंढना चाह रहे? गूगल का सजेशन लेते हैं अथवा नहीं यह खोजने वाले पर है। और कीवर्ड डालकर हम सर्च करते हैं। गूगल के बोट्स, जिन साइट्स पर वह पहले भी कई बार विजिट कर चुके है उनकी नजर में होती हैं कि फलां चीज वहां-वहां हैं और वह रिजल्ट सामने रख देता है। अब गूगल इतना स्मार्ट तो है ही।

जिस तरह तोते के दिमाग में हरा रंग है और वह हरे रंग पर ही बैठेगा। वैसे ही ब्राउजर में डाला गया कीवर्ड जिस साइट में सुंदर तरीके से डाला गया होगा बोट्स वहीं जायेगा। साथ ही खोजने वाले के प्रश्न के मद्देनजर कि वह क्या उत्तर चाहता है और कहां इसका विशिष्टता एवं सरलता से उत्तर है। यकीन जानिए शत प्रतिशत तो नही परंतु बहुत हद तक गूगल खोजने वाले की मानसिकता समझता है और समझने की कोशिश करता रहता है, यदि वह बार बार search करता है। इसके अलावा यदि वह बड़ी वेबसाइट्स पर नही है तो वह मध्यम के पास जायेगा। वहां भी नही है तो वह निम्न साइट्स पर विजिट करेगा। आप जानते ही हैं कि यह कार्य सैंकड से भी कम समय में होता है। और उसके बाद वह परिणाम प्रस्तुत करेगा। यानी मुख्य चीज है कीवर्ड जो seo की मुख्य वस्तु है। Keywords aur Content के लिए  कुछ टिप्स हैं जिन्हें ध्यान में रखा जा सकता है। 

SEO kaise karte hain|SEO Tips for Blogging in hindi

  • गूगल कोई भाई चारा नही करता। परंतु बड़ी साइटों की भव्यता को नजरंदाज करें यह भी नही है।
  • गूगल को पता है, एक ही प्रश्न के हजारों उत्तर हैं, परंतु अपने कस्टमर की संतुष्टि की भरपाई हेतु भरसक कोशिश करता है। इस कोशिश में गूगल के सामने बड़ी छोटी वेबसाइट के कोई मायने नहीं होते।
  • गूगल पर एक ही प्रश्न के हजारों उत्तर होंगे इससे निराश होने की जरूरत नही, हमे केवल यह देखना है कि हम उस उत्तर को किस विशिष्ट अंदाज में प्रस्तुत करते हैं। बर्फी बनाने वाले हलवाई बहुतों हैं परंतु कोई एक आपका खास कैसे हो जाता है? सोचिए! हमे वही तो करना है। 
  • स्वयं के प्रस्तुति करण को स्वयं पर ही आजमाना चाहिए कि आपके द्वारा प्रस्तुत सामग्री आपको कैसी लगी? फिर भी मन न भरे तो अपने साथियों को दिखाएं कि उन्हें कितना समझ आया? 
  • आपके प्रस्तुति करण पर हंसिए मत और न हि चौड़े होइए। आपका अंदाज दुनिया से निराला हो सकता है इस बात की चिंता करने की जरूरत नही है। क्योंकि किसी को, किसी तरह समझ आता है तो किसी को, किसी और तरह। नमूनों (जीनियस) की कमी नही हैं दुनिया में।
  • कंटेंट को परोसने का अपना स्वयं का विशिष्ट अंदाज होना जरूरी पहलू है। जिसे आप क्वालिटी कंटेंट भी कह सकते हैं। 
  • साथ ही साथ कुछ नया दूसरो से जुदा सामग्री प्रस्तुत करने की सदैव कोशिश जारी रखे। 
  • कीवर्ड रिसर्च पर पूर्ण फोकस आपकी सफलता की गारंटी हो सकता है। जितना आप वेबसाइट के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हैं, उतना या उससे भी अधिक कीवर्ड पर भी ध्यान केंद्रित करें।  
SEO कोई बंधी बंधाई प्रक्रिया नही है जिसके नियम भी बंधे हों। हां! यह अवश्य है कि seo में कीवर्ड प्रस्तुतिकरण आवश्यक है परंतु मात्र keyword प्रस्तुति से कुछ नही होगा। आपको यह देखना होगा कि आपकी सामग्री पर समय व्यतीत करने वाला कितना संतुष्ट हुआ? और इसके लिए अपने कंटेंट को खुद पढ़कर यह देखे की आपको इससे क्या मिला? आपकी क्या समझ में आया? इस पहलू के मद्देनजर आप अपने कंटेंट को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करने में माहिर हो जायेंगे।