Daily motivational quotes for success| Motivational short story in Hindi- दूरदर्शिता
Daily motivational quotes for success पढ़ना, सुनना और महसूस कर रोमांचित एवं पल भर के लिए उत्साहित होना ही काफी नही है। यह सही है और मैं भी मानता हूं कि आप Quotes की गहराई को भीतर तक अनुभव करते हैं। परंतु उस गहराई को महसूस करना और व्यवहार में उपयोग करना दो अलग बातें होती हैं। क्या नही?
जब आप motivational quotes पढ़ते हैं तो एक आशा, जोश के साथ उत्साह उत्पन्न होता है। वह, क्यों और कैसे होता है, इस बारे में विचार किया है कभी? वह इसलिए होता है क्योंकि उद्धरण आपकी उस खूबी से परदा उठाते हैं जिसे आपने ढका हुआ है। जबकि यह कार्य बिना motivational quotes के भी आप खुद कर सकते हैं। परंतु आपको भरोसा नहीं है कि आप जो सोचते हैं, वह सही है या नही? जबकि आपको Inspirational quotes से इसी विश्वास को तो जगाना होता है। आपको तो बस, स्वयं को यह बताना है कि फलां आदमी ने ये कहा था।
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Motivational quotes for success with motivational story in hindi-Foresight
आज हमे एक मौका और मिला है
तो क्यों न इसका लाभ उठाएं
अंजाने भय से कांपते जमीर को
उम्मीद की किरण के साथ जगाएं
जब तक आप अपनी दूरदर्शिता को नही आजमाएंगे सफलता आपको उतनी ही दूर दिखाई देगी।
आज पानी की कीमत और अन्न की कीमत एक है। पानी को जोहड़ से बोतल में भरकर बेचने की अदाकारी को दूरदर्शिता कहते हैं।
जब आप किसी कार्य को करने की ठानते हैं और सोच-विचार कर शुरू कर देते हैं, वही दूरदृष्टि है उसे बरकरार रखें। लोगो द्वारा तो आपको मात्र भय ही दिखाया जायेगा।
आपको अपने ही बांए हाथ से दायां कान कैसे पकड़ना है? यह आप पर निर्भर है कि आगे से पकड़ते हैं या पीछे से?
माना जा सकता है कि आपमें हुनर है। परंतु उसे आपको तराशना होगा। वरना आप जानते ही हैं कि बिना प्रशिक्षु के तैरना तो जानवरों को भी आता है लेकिन अवार्ड तो विवेकी मानव ही लाता है।
Motivational story in hindi|Short in hindi-दूरदर्शिता प्रेरक लघु कहानी
Short story in hindi आपकी दूरदर्शिता के बारे में जो आपको अपनी दूरदर्शिता से परिचित होने में मदद करेगी। Motivational Story Real हो या Dreamy Motivational story, पढ़ने से वही भावना जागृत होती है जिसे हम जगाना चाहते हैं।
पुरानी बात है, एक राज्य था। वर्षा ऋतु में राज्य की समस्या थी कि बहुत सारा क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ जाता और भारी जान माल की हानि होती। राजा और प्रजा दोनो परेशान। बारिश के मौसम के आने के समय से पूर्व ही प्रजा और राजा के कार्य आरंभ हो उठते। प्रजा यहां से वहां पलायन के मंसूबे बनाती वहीं राजा अपने मंत्रीगण से इस आपदा से पार पाने पर विचार विमर्श करते। परंतु बुद्धिमान एवं चतुर मंत्रियों के होते हुए भी इस आपदा का कोई तोड़ निकल नही पा रहा था।
वैसे ही एक दिन दरबार लगा था। राजा और दरबारी इसी बात की मंत्रणा कर रहे थे। जनसाधारण भी दरबार में उपस्थित था। बाढ़ से बचने के लिए हर कोई उपाय बता रहा था। परंतु जिस भी उपाय पर सहमति होती बुद्धिमान दरबारी गण पूर्णत छानबीन करते तो उसमे कोई न कोई खामी नजर आती। और उस उपाय को निष्क्रिय कर दिया जाता। थक हार कर राजा ने कहा कि क्यों न प्रजाजन से भी राय मांगी जाए, हो सकता है किसी की राय सही साबित हो और इस आपदा से निपटने का अचूक उपाय मिल सके।
राजा की इस बात से, जब राजा को ही लगा कि दरबारी नाक भौं सिकोड़ रहे हैं तो राजा ने फिर से कहा कि बुद्धिमान कोई बंधी हुई विषय वस्तु नही है कि मात्र उच्च पद पर आसीन लोगो तक ही सीमित रह जाए। कल्पना शक्ति हर मनुष्य में एकसार ही होती है। नजरों के सामने नजारे आते हैं और कल्पना बढ़ती जाती है। साथ ही जनसाधारण इस आपदा को व्यावहारिक रूप में भुगतते हैं, तो उन्हें हमसे अधिक ज्ञान होगा। हम तो मात्र देखी-सुनी बातों पर मात्र अहसास भर करते हैं। राजा के इन कथनों से दरबारियों को लगा कि बात राजा की बात में दम तो है। उन्होंने जनसाधारण को इस आपदा से निपटने की सलाह देने को कहा।
प्रजा जन में खुसर फुसर होने लगी। तभी एक युवक सामने आया और बोला कि उसके पास एक तरकीब है। यदि उसे दरबार माने तो। दरबारियों ने कहा कि पहले तरकीब तो बताओ उसके बाद फैसला होगा कि वह मान्य होगी या नहीं।
युवक ने अपने साथ लाए दो बर्तन सबके सामने रखे। सबसे पहले बिना तली वाले पात्र को दरबार के बीच में रखा और एक बाल्टी पानी लाने को कहा। पानी मंगवाया गया। सभी लोग उस युवक की कार्रवाई को ध्यान पूर्वक देख रहे थे। पानी आया तो उस युवक ने उसे उस बिना तली वाले बर्तन में डालने को कहा। और जब पानी उसमे डाला गया तो सारा पानी वहीं फर्श पर चारो और फैल गया। सभी सोच रहे थे कि आखिर हो क्या रहा है? युवक बताना क्या चाहता है?
पानी के फर्श पर फैलने के पश्चात युवक ने कि महाराज अब हमारे राज्य की हालत इस बर्तन की भांति है। बरसात आती है और धरती पर पड़ा पानी इसी तरह चारो ओर फैल कर बाढ़ के रूप में जान माल की हानि करता है। एक दरबारी बोला यह तो हम सब जानते ही हैं। समाधान क्या है?
युवक ने कहा, महोदय, अभी मेरी बात समाप्त नहीं हुई है। और युवक ने एक बाल्टी पानी और मंगवाने का आग्रह किया। जब पानी आया तो उसने उसे उस बर्तन में डलवाया, जो बर्तन संपूर्ण तो था परंतु उसमें छोटे छोटे कई छेद थे। सभी इस प्रक्रिया को गौर से देख रहे थे। सभी ने देखा कि पानी एक ही बार में फैलने की बजाय उन छिद्रों से कई धाराओं में बहकर चलने लगा। यह देख राजा ने कहा, "युवक अपनी प्रक्रिया का अभिप्राय स्पष्ट करो।"
युवक बोला, "महाराज इस पात्र की भांति ही, यदि हम किसी स्थान पर वर्षा के जल को एकत्रित करते हैं तो बाढ़ रूपी आपदा से तो बच ही सकते हैं। साथ ही साथ उस पानी को धाराओं के द्वारा उस स्थान पर ले जा सकते हैं जहां पानी की समस्या है। और संचित जल का उपयोग वर्षा के अभाव में फैसलों के लिए भी किया जा सकता है। जिसे इन्हीं धाराओं से किया जाएगा। (वर्तमान में नहर प्रक्रिया इसी आधार पर विकसित है)।
युवक की बात सुनकर राजा समेत सभी ने तालियां बजाकर युवक की प्रसंशा की। सबको बाढ़ का निदान पूर्णत सार्थक लगा। राजा ने युवक को अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर लिया।
Motuvational story Moral
तो देखा आपने दूरदर्शिता का कमाल। जी हां! हम सब में होती है दूरदृष्टि जिसका इस्तेमाल हमें अवश्य करना चाहिए। साथ स्मरण रहे अपनी दूरदृष्टि का उपयोग करते समय संकोच करना निहायत गलत है। अपनी बात पूर्ण आत्मविश्वास के साथ सबके सम्मुख रखे। "कहीं हम गलत तो नहीं" इस विचार से स्वयं की हिम्मत को न तोड़े। गलत होगा तो गलत सही परंतु अपनी बात रखें जरूर।
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