Full Form of MSME in Hindi MSMEs kya hai hindi me jane
M- Micro (सूक्ष्म)
S- Small (लघु)
M- Medium (मध्यम)
Es- Enterprises (उधोग, उधम)
अर्थात समझ लिजिए कि MSME के अक्षरों के संपूर्ण शब्द रुपों को हिन्दी में रुपांतरित करें तो "सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम" या उधोग ही MSME की हिंदी में फुल फॉर्म या कहें पूर्ण रुप होता है।
भारत देश में MSMEs की महत्वपूर्ण भूमिका क्या है?
हमारे देश में MSMEs बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। आम इंसान से उच्च श्रेणी तक उपभोग या उपयोग होने वाले बहुत से उत्पादों की आपूर्ति MSMEs उधोगों से होती है। कहने का अभिप्राय है कि आम जन-जीवन में प्रयुक्त होने वाले लगभग वस्तुओं का उत्पादन हमारे देश के ये सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग ही करते हैं। आईये जानते हैं हमारे देश में ये MSMEs उधोग कौन कौन से उत्पादन कर देश में योगदान करते हैं।
MSME के उत्पादन कौन कौन से हैं?
1. पैकिंग खाध पदार्थ (Packed Foods):- आलुओं के चिप्स, कुरकुरे, बिस्किट्स, मसाला, ब्रेड, नमकीन के पैकेट वगैरह खाध पदार्थ जिनकी गिनती आसान न होगी परन्तु सभी जन मानस जिनसे परिचित जरुर होंगे।
2. फल व सब्जियां
3. दुध उत्पादन
4.मत्स्य या मछली पकड़ने व मछली पालन उद्योग
5. पशुपालन
6. ढाबा या रेस्तरां उधोग
7. मुर्गी पालन उद्योग
8. किरयाना के सामान की आपूर्ति हेतु खोली गई दुकान भी MSME उधोगों में शामिल है।
9. आटा चक्की, मिल, तेल वगैरह निकालने की मशीन लगाना
10. मोटर वाहन सेवाएं
11. फर्नीचर
12. सैलून, ब्यूवटी पार्लर वगैरह
13. कोपी किताब
14. इलैक्ट्रिक्स और इलैक्ट्रोनिक्स
15.कपड़े सिलाई कढ़ाई यानि दर्जी
16. लैब, जांच घर
17. फोटो कॉपी (झेरोक्ष)
18. कॉस्मेटिक प्रोडक्टस
19. हार्डवेयर का सामान
20. कारपेंटर व लैदर संबंधित का कार्य उधोग।
आपके अंदाजन हेतू ये मोटे तौर पर कुछ उधोगों के नाम दिए हैं। इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए बता दें की लगभग साढ़े छः हजार उत्पादन (products) MSMEs के उधोग से निर्मित होते हैं।
MSME उधोगों का देश में योगदान
- 45% रोजगार देश में MSME उधोग उपलब्ध करवा रहे हैं।
- 50% निर्यात की आपूर्ति MSME उधोगों से होती है।
- 10% भारत की GDP में भागीदारी MSME उधोग की है।
आप समझ सकते हैं, रोजगार व निर्यात की दृष्टि से देखा जाए तो एमएसएमई के डाउन होने या डूबने पर, बेरोजगारी कितनी बढ़ जायेगी आधा निर्यात रुकने पर, देश की क्या हालत हो सकती है। इसीलिए हमारे देश की वित्त मंत्री जी ने कुछ माह पूर्व ही MSME को बढ़ावा देने व इन्हें वारीयता सूची में रखने को कहा है और रखा भी है।
MSME उधम की उपलब्धता व भुमिका का हाल ही का एक छोटा सा उदाहरण:-
कोरोना की महामारी का प्रकोप जब हमारे देश में पग पसारने लगा तो जिसने घाव दिया वही मलहम लगाए। हमारे देश में कोरोना के लिए पीपीई (PPE) किट, रैपिड टेस्ट किट, और N-95 मास्क चीन से ही आ रहे थे। जानबूझकर या गफलत में जब यह सारे सामान चीन से आए तो उन्होंने गलत सामान भेज दिया। संपूर्ण जांच के बाद इनकी नकलियत का पता चला तो देश ने इन्हें चीन को वापस भेज दिया। सामान की वापसी पर चीन ने कहा कि भारतीयों को इस्तेमाल करना नहीं आता है। इन्होंने घमंड में या अंहकार में भेज तो दिया अब इन्हें लाएंगे कहां से? इतनी जल्दी बना कैसे पाएंगे? देखते हैं क्या कर लेते हैं? भारतीय बना भी लेंगे तो थोड़े बहुत ही बना पाएंगे।
MSMEs ने स्वीकारी चुनौती
भले ही हम भारतीय दिनभर ताश खेलकर मनोरंजन करके अपना दिन खराब कर सकते हैं। लेकिन हम भारतीयों को कोई चुनौती दे तो हम आधे महीने का काम एक ही दिन में संपूर्ण करने की क्षमता भी रखते हैं। इसी चुनौती को स्वीकार करते हुए ही हमने, हमारे एमएसएमई उद्योगों ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया और हर रोज दो लाख पीपीई किट, प्रतिदिन दो लाख एन 95 मास्क और प्रतिदिन दो लाख रैपिड टेस्ट किट बनाने शुरू कर दिए। भाई चुनौती कतई बर्दाश्त नहीं।
इतना ही नहीं इन्हें प्रतिदिन चार लाख करने का प्रण भी ले रखा है। इसी के मद्देनजर भारत सरकार ने हमारी वित्त मंत्री ने एमएसएमई उद्योगों की काबिलियतता को देखते हुए ही इन्हें बढ़ावा देने पर जोर दिया है। इनके लिए क्या-क्या महत्वपूर्ण सुविधाएं दी है हम आपको आगे बताएंगे।
MSME समेत भारतीय उधोगों में बड़े उधोग व भारी उधोग भी हैं। बड़े व भारी उधोग से अभिप्राय आप समझ लिजिए कि जिनमें बड़े बड़े बजट की वस्तुएं निर्मित होती हैं। आगे समझ जाएंगे।
MSME एक्ट 2006 के अनुसार
M- Micro (सूक्ष्म):- अगर कोई अधिकतम पच्चीस लाख रुपए का निवेश (Investment) कर कोई उधोग या कहें व्यापार करता है, तो इसे माइक्रो में रखा जाता था। इसमें सरकार का कर (Tax) सबसे कम लगता था या लगता है।
S- Small (छोटा):- इसके तहत अधिकतम निवेश क्षमता एक करोड़ थी।
M- Medium (मध्यम):- इसके लिए पांच करोड़ रुपए की निवेश लागत वाले उधोग को मध्यम की श्रेणी में रखा जाता था।
यह सब 2006 के अनुसार था, कर (Tax) के लेवल में पहले वाले को कम फिर स्माल को उससे अधिक और मध्यम को और थोड़ा ज्यादा।
उपर लिखे एम एस एम ई के जलवे को देख और सरकार के विश्लेषण करने पर जब पता चला कि इस MSME उधोगों ने 45 प्रतिशत रोजगार व 50 प्रतिशत निर्यात की जिम्मेदारी संभाल रखी है। पैंसठ हजार उत्पाद जिनमें सभी मूलभुत वस्तुएं शामिल हैं। उनकी आपूर्ति तो हमारे ये एम एस एम ई करते हैं। इसलिए अब आगे से हमारा मुख्य फोकस MSME पर ही होगा।
MSME के लिए नया नियम क्या हैं?
सूक्ष्म के लिए निवेश को बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया है। अगर आप एक करोड़ की लागत से धंधा पानी शुरू करतें हैं और पांच करोड़ का टर्नओवर करते हैं तो भी आप माइक्रो में रखेंगे।
छोटा इसके लिए अधिकतम निवेश क्षमता दश करोड़ है, और टर्नओवर बीस करोड़ रुपए।
मध्यम की लागत को बीस करोड़ का रख दिया यानि अगर कोई 20 करोड़ रुपए लगाकर कोई बिजनेस करता है तो उसे एम एस एम ई में रखा जायेगा और टर्नओवर सौ करोड़ कर दिया।
निवेश क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ इनके लिए अधिक स्ट्रीक्ट अनुशासन में भी ढील दी है। आप ऐसे मान लिजिए कि जैसे हमारे परिवार में एक तो कोई छोटा बच्चा हो और बड़े या जवान बच्चें हों तो कैसे छोटो बच्चों को प्यार से ट्रीट किया जाता है और बड़े बच्चों को थोड़ा स्ट्रीट तरीके से ट्रीट किया जाता है। वैसे ही एम एस एम ई और लार्ज और हैवी उद्योगों के बीच अंतर है। जिनमें एमएसएमई को छोटे बच्चे मानकर चलें।
MSME उधोगों के लिए कुछ और सुविधाएं
Easy Bank loan सुविधा मिलेगी
Interest Rate लोन पर ब्याज दर कम
Tax कर में कटौती
License आसानी उपलब्ध हो जायेगा।
NGT जहां भारी व बड़े उधोगों पर का दबाव रहता है, जैसे कारखाने का गंदा पानी कैसे और कहां जायेगा, धुआं निकलने का जो जरिया है उसे और ऊंचा करो वगैरह वगैरह, इन सबके लिए MSME Industry को ढील दी है।
ये थी कुछ सुविधाएं इनके अलावा भी कई और भी हैं, कुछ प्रमुख ही पेश की हैं। उम्मीद है MSME क्या है आपको समझ व पसंद आया होगा। कमेंट करके बताइएगा जरुर। धन्यवाद।
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