Personality development in hindi, Cause is hidden in Effect|प्रभाव में कारण छुपा होता है-व्यक्तित्व विकास
Personality development in hindi का यह लेख लिखने का तात्पर्य यह है कि मेरी एक बात समझ में नहीं आई जिसे आपके साथ साझा करना जरूरी लगा। बात यह है कि हम पर किसी का अथवा हमारा किसी पर प्रभाव पड़ता है तो क्या वह प्रभाव अनायास ही होता है या Cause is hidden in Effect अर्थात क्या इसके पीछे कोई कारण होता है? आप क्या समझते हैं? सोचिएगा जरूर!
व्यक्तित्व विकास में Cause is hidden in Effect का क्या सरोकार? बताने का अभिप्राय है कि मेरा मानना है पड़ने वाला प्रभाव हमारा किसी पर अथवा दूसरो का हम पर, उस प्रक्रिया (प्रभाव) के पीछे कारण अवश्य होता है। प्रभाव का असर सदैव ही किसी कारणवश ही होता है। चलिए एक छोटी सी लघुकथा से समझने का प्रयास करते हैं।
Short story Speciality personality development in hindi|Cause is hidden in Effect
शाम का समय है, डूबते सूरज की मध्यम रोशनी आभा बिखेर रही है। दृश्य है एक छोटे से रेलवे स्टेशन का जहां इक्का दुक्का गाड़ियां ही रुकती हैं।
अभी कुछ ही समय पहले उस स्टेशन के प्लेटफार्म पर एक सवारी गाड़ी आकर रूकी। स्टेशन पर मात्र एक आदमी उतरा। छोटा स्टेशन होने के कारण वहां कोई कुली नहीं था। उस व्यक्ति ने दो-तीन बार पुकारा "कुली कुली" किंतु न कोई आवाज आई और न ही कोई आदमी।
थोड़ी दूर पर स्टेशन मास्टर अपना केबिन बंद करते हुए दिखाई दिए उस व्यक्ति ने उनसे पूछा क्या यहां कुली मिल सकता है? "जी नहीं यह छोटी सी जगह है यहां कुली नहीं मिलते।" यह कहते हुए स्टेशन मास्टर भी वहां से चले गए क्योंकि उस स्टेशन पर आने वाली वह आखरी गाड़ी थी वह व्यक्ति परेशान हो मन ही मन कुछ बड़बड़ाने लगा।
इतने में साधारण वेशभूषा में हल्की सी शॉल लपेटे हुए एक व्यक्ति उधर से गुजरा उसने उस व्यक्ति को कुली-कुली पुकारते हुए सुन लिया था। उसने बड़ी विनम्रता से कहा, "साहब यहां कुली कहां मिलेगा आपको, लाइए मैं आपका सामान पहुंचा देता हूं।" यात्री ने उस व्यक्ति को देखा और बोला, "ठीक है! तुम मेरा सामान ईश्वरचंद्र जी के घर तक पहुंचा दो जो पैसे बताओगे दे दूंगा।" उस व्यक्ति ने सामान उठा लिया और उस यात्री के साथ आगे आगे चल पड़ा। रास्ते में उस यात्री ने बताया कि वह बहुत दूर से ईश्वरचंद्र विद्यासागर से मिलने आया है। वह इतने महान पुरुष से मिलने को काफी दिन से इंतजार करता रहा है।
ईश्वरचंद्र जी के घर पहुंच कर उसने सामान बरामदे में रख दिया और स्वयं यह कहकर अंदर चला गया कि मैं ईश्वरचंद्र जी को बुलाता हूं।
थोड़ी देर बाद आगंतुक को अंदर बुलाया गया तो उसने देखा कि वही व्यक्ति सामने कुर्सी पर बैठा हुआ है जो उसका सामान उठाकर लाया था। आगंतुक यात्री ने कहा कि मुझे ईश्वरचंद्र विद्यासागर से मिलना है। सामने कुर्सी पर बैठे व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए कहा, "मैं ही ईश्वरचंद्र विद्यासागर हूं बताइए मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं।" आगंतुक युवक अपने आप पर बहुत लज्जित महसूस कर रहा था उसने अपने व्यवहार के लिए ईश्वर चंद्र जी से माफी मांगी।
अब आपको क्या लगता है? क्या आप कह सकते हैं Cause is hidden in Effect? अर्थात प्रभाव में कारण छुपा होता है।
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