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सोमवार, 14 दिसंबर 2020

Chankya in hindi Best 20 simple quality क्या आप में हैं सफलता प्राप्ति हेतु?

 Chankya in hindi Best 20 simple quality क्या आप में हैं सफलता प्राप्ति हेतु?

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Chanakya niti in hindi ki ज्ञानवर्धक baten|Chanakya Baten hindi me

चाणक्य नीति के अनुसार हमें सीखने के लिए महज पुस्तकों की ही नही वरन अपने आसपास के वातावरण में जीवनयापन करने वाले मनुष्य के अलावा और भी जीवों से शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए।

 इन जीवों के ये गुण इन्हें तो खाश बनाते ही हैं, अगर मनुष्य भी इन गुणों को याद रखकर वैसा ही आचरण करेगा, तो वह सदा सब कार्यों में सफलता प्राप्त करेगा, सदैव विजयश्री का हकदार होगा। अपने व्यवहार में आचार्य चाणक्य की नीति की बातें लायें तो आपकी हमेशा ही विजय होगी।

Chankya niti in hindi के 20 गुण कौन-कौन से किस किस से ग्रहण करने चाहिए।

चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि हमें "शेर" से 'एक', "बगुला" से 'एक', "मुर्गे" से 'चार', "कौआ" से 'पांच', "कुत्ते" से 'छह' और "गधे" से 'तीन' गुण सीखने चाहिए।

चाणक्य नीति की बातें ज्ञान की।

आईये जानते हैं चाणक्य नीति में बताये ये गुण कौन से हैं और जानते हैं, किस जीव में कौन-कौन से गुण होते हैं, जो उन्हें खाश बनाते हैं। हमें क्यों इन्हें स्वयं पर लागू करना चाहिए।

आचार्य चाणक्य के अनुसार हमें पहला और एक गुण 'शेर' से ये लेना चाहिए कि कोई भी कार्य करें चाहे वह छोटा हो या बड़ा उसे अपनी पूरी ताकत लगा कर करना चाहिए।

 क्यों मानें चाणक्य नीति की बातें:-

कभी कभी हम किसी कार्य को छोटा समझकर उसे बेमन से करने लगते हैं, हम विचारतें हैं कि " ये छोटा-सा काम है ये तो आसानी से हो जाएगा इसमें ज्यादे माथा पच्ची करने की क्या जरूरत है?" इसके अलावा यह भी विचार आ सकता है कि " हम ऐसे छोटे मोटे काम के लिए थोड़े बने हैं।" या ये भी हो सकता है कि हम अपनी ताकत को संभाल कर रख रहे हों किसी बड़े काम के लिए, कि छोटे-छोटे काम तो हम ऐंवें ही कर लेते हैं पूरी ताकत तो हम तब लगायेंगे। और शायद ही पूरी ताकत लगाने का मौका आये। चाणक्य नीति कहती जब भी कार्य करो पूरी तन्मयता से करो।

चाणक्य नीति ने शेर की तरह, इसलिए कहा है क्योंकि शेर जब भी अपने शिकार पर वार करता है तो वह अपनी पूरी शक्ति से करता है फिर चाहे शिकार कोई बड़ा हाथी, भैंसा या जेब्रा हो और चाहे कोई छोटा खरगोश।

Chanakya niti in hindi का दुसरा गुण बगुला से सीखना चाहिए।

चाणक्य नीतिनुसार विद्वान और उत्तम मनुष्य को चाहिए कि बगुले की तरह अपनी सभी इन्द्रियों को संयमित कर देश, काल और बल को भली-भांति समझ कर सभी कार्यों को करें, यह एक गुण बगुला से सीखना चाहिए।

ऐसा क्यों और क्या कहती है चाणक्य नीति बगुला के बारे में?

बगुला एक पक्षी होता है। कभी किसी से सुना भी होगा कि "कैसा बगुला भगत बना बैठा है।" या फिर ये सुना होगा कि " अरे वो तो बगुला भगत निकला"। बगुला पानी में बिना हिले डुले चुपचाप अपने पैरों जितने  पानी में खड़ा रहता है। उसका ध्यान और नजर ठीक अपने नीचे पानी में रहती है, पानी में विचरने वाले उन सभी जीवों पर ध्यान लगाये वह एक निर्जीव मूरत की तरह खड़ा हो जाता है। 

और जैसे ही उसके मन के अनुकूल जीव उसे दिख जाता है वह उसका शिकार कर अपने गले से नीचे उतार कर अपने भोजन का प्रबंध कर लेता है। समयानुसार बगुला अपनी इन्द्रियों को वश में कर लेता है, जबकि उसके आसपास और भी छोटे-बड़े जीव घुमते रहते हैं परन्तु वह चुप्पी साधे रहता है और उसकी चुप्पी से, उसे निर्जीव समझ कर जीव धोखे में आकर खुलकर विचरण करने लगते हैं और उसका भोजन बन जाते हैं। 

इसीलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कहीं भी समय चाहे कोई भी हो मनुष्य को अपनी इंद्रियों को वश में कर एकाग्र होकर सभी कार्यों को अंजाम देना चाहिए।

Chankya niti in hindi के मुर्गे से सीखने वाले चार गुण।

  • ब्रह्ममुहुर्त में जागना।
  • रण में पीछे न हटना।
  • बन्धुओं में किसी वस्तु का बराबर-बराबर बंटवारा करना।
  • स्वयं चढ़ाई कर अपने भक्ष्य (भोजन) को ले लेना।

आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति के अनुसार अपने यथोचित काम करने हेतु ब्रह्ममुहुर्त अर्थात सुबह तड़के ही जागना चाहिए। अपनी जरूरतानुसार अगर कोई वस्तु कार्य विशेष है तो, ' कोई दूसरा ही शुरूआत कर दे।' यह न सोचकर खुद ही उसकी पहल कर देनी चाहिए। अपने भाई बंधुओं में मिलकर रहना है तो किसी वस्तु विशेष का बराबर बंटवारा करना चाहिए, न कि किसी भी प्रकार का भेदभाव वाला रवैया अपनाया जाना चाहिए। रण में पीछे न हटने से अभिप्राय है कि कोई भी समस्या, किसी भी प्रकार की कोई विपत्ति का डटकर मुकाबला करना चाहिए, ना कि पीछे हटना चाहिए। चाणक्य नीति के अनुसार मनुष्य में ये गुण हैं तो वह स्वयं को मजबूत व आत्मविश्वास से लबरेज पायेगा।

चाणक्य नीति: के अनुसार मानव को पांच गुण कौवे से सीखने चाहिए।

  • गुप्त स्थान या एकान्त में सहवास या रति-मैथुन क्रिया।
  • छिप कर चलना
  • समय समय पर सब अभीष्टों (प्रिय, रुचिकर) का संग्रह करना।
  • हर काम में सदैव सावधान रहना।
  • किसी का भी विश्वास न करना।


चाणक्य नीति: 6 गुण कुत्ते के जो मनुष्य को सीखना चाहिए।

  • कुत्ते का पहला गुण ये है कि बहुत अधिक भोजन करने का सामर्थ्य रखना, और दूसरा यह कि स्वयं को थोड़े में संतोष कर लेना।
  • दो गुण ये, कि गहरी नींद में सोना, परन्तु तनिक से खटके से जाग जाना।
  • कुत्ते का पांचवां गुण ये, कि अपने मालिक से प्रेम करे और छठा यह कि जरुरत पर अपनी शूरता (वीरता) दिखाये। 

चाणक्य नीति: तीन गुण गधे से सीखें मनुष्य जन।

  • अत्यंत थकने पर भी बोझ का ढोहना।
  • सर्दी- गर्मी का अहसास न करना।
  • हमेशा संतोष पुर्वक विचरना।

चाणक्य नीति की बातों का उपसंहार

तो ये थे कुछ हमारे जीवों के गुण। उम्मीद है आपको पसन्द आये होंगे, अगर पसंद आए हैं तो इन्हें अपने आचरण में शामिल करें और विकास की ओर अग्रसर हो जायें। हमें ये कदापि नही समझना चाहिए कि यह तो जानवर है इनका तो कार्य ही ये है। कुछ गहराई से विचारें तो हम स्वयं अहसास कर सकते हैं कि बुद्धिमान और कामयाब व्यक्ति में होते हैं। 

चाणक्य नीति की बातें जो साधारण लगती हैं पर हैं बहुत काम की

चाणक्य नीति द्वारा बताए गए इन्हीं गुणों की बदौलत किसी भी प्रकार की विपत्ति पर विजय प्राप्त की जा सकती है। कामयाबी हासिल की जा सकती है। आचार्य चाणक्य की चाणक्य नीति की इन बातों पर गौर फरमाएं, इन्हें अपने आचरण में शामिल करें, सफलता आपके कदम चूमेगी। हमारी दुआएं आपके साथ हैं। धन्यवाद।

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