How To Set SMART Goal|Goal setting in hindi
Goal अर्थात लक्ष्य हर कोई बनाता है, हर समय बनाता है। मसलन आज सब्जी क्या खाई या बनाई जाए? यह भी एक तरह का लक्ष्य (Goal) ही है। जिसका निर्णय हम बड़ी ही कुशलता से हाथो-हाथ लेकर कार्य को अंजाम देने हेतू कार्यान्वित हो जाते हैं। कभी आपने सोचा है, ये इतना जल्दी में कैसे हो जाता है? खैर!
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लक्ष्य निर्धारण कैसे करें|SMART Goal setting in hindi
अब बात करते हैं, SMART Goal के बारे में। आपको क्या लगता है कि आप सब्जी वाला निर्णय बिना किसी मंथन के ले लेते हैं? यदि आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं। यह निर्णय लेते समय भी हमारे जेहन में वो सारी बातें, वो प्रश्न, वो नकारात्मकता, सकारात्मकता तब भी उतनी ही होती है जितनी जीवन के किसी SMART Goal के मध्य नजर होती है। परंतु वो बातें बेहद सामान्य सामान्य प्रतीत होती हैं मगर SMART Goal में वे सामान्य नही लगती क्योंकि इसे हम भव्य एवं विशिष्ट रूप प्रदान कर देते हैं।
मुझे यकीन है आपको यकीन नही होगा। चलिए उन बातों से रूबरू होते हैं जो किसी भी SMART Goal setting में हमारे सामने आती हैं। अथवा हमे अपना लक्ष्य बनाते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए ताकि बड़ी ही आसानी से हम अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त कर सकें।
Goal setting in hindi|कोई भी लक्ष्य बनाने से पहले मेरे छह प्रश्न
प्रस्तुत प्रश्ननुमा आपकी भावनाएं जिनका विश्लेषण कर आपको स्वयं से पूछ कर जवाब लेना है। फिर देखिए आप कितनी आसानी से अपना SMART Goal set कर लेते हैं।
- क्या - पाना, प्राप्त क्या करना है?
- उद्देश्य - अर्थात क्यों? क्यों पाना है? लक्ष्य पाने के पीछे उद्देश्य क्या है?
- कैसे - योजना जिसमें किन चीजों की आवश्यकता पड़ेगी और अड़चने क्या आएंगी
- कब - कब मतलब, कब पाना है या कब तक पाना है।
- कहां - वह स्थान जहां लक्ष्य को पाना है।
- कौन - लक्ष्य में कौन शामिल है।
क्या आपको नहीं लगता कि ये सारी बातें अथवा प्रश्न सब्जी खाने एवं बनाने में हमारे मानसपटल पर नहीं तैरते? एक बार विचारिये जरूर।
लक्ष्य में गंभीरता हो, मगर उत्साहपूर्ण|Serious in Goal, but enthusiastic
उपर्युक्त सब्जी का उदाहरण प्रस्तुत करने के पीछे ध्येय ये है कि जिस तरह उपर्युक्त प्रश्न या Things सामान्य तौर पर अनुभव होती हैं, यदि ये सारी बातें पूर्णत स्वयं में आत्मसात रखें तो शायद जीवन के किसी भी निर्णय में हमें उलझन का सामना न करना पड़े। बहुत हद तक किसी भी निर्णय की सटीकता इन्हीं बातों पर निर्भर करती है।
परंतु स्मरण रहे जीवन में गंभीरता के मायने हैं भी और नहीं भी। जब हमें विश्वास हो जाता है कि हम यह कर सकते हैं। तब गंभीर होकर उदासीनता को गले लगाकर स्वयं को कमजोर ही करते हैं। यदि हंसी खुशी और उत्साहित माहौल बनाकर कार्य करे तो जीत आपकी और वह भी पक्की।👍
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